वैज्ञानिकों ने इंसानी आंखों को 'हैक' करके उन्हें एक बिल्कुल नया रंग दिखाया — जिसका नाम है "ओलो" (olo)।
यह खबर Live Science वेबसाइट पर छपी थी और इसका सार यह है:
वैज्ञानिकों ने एक नई तकनीक का इस्तेमाल करके इंसानी आंखों को एक ऐसा रंग दिखाया जो प्राकृतिक रूप से हम नहीं देख सकते। इस तकनीक का नाम है "Oz"। इसके जरिए वैज्ञानिकों ने रेटिना(आंख के पीछे का वह हिस्सा जो रोशनी को पहचानता है) को इस तरह से उत्तेजित (stimulate) किया कि लोगों को एक नया रंग दिखा — जिसे उन्होंने नाम दिया "olo"।
ये "olo" रंग कैसा था?
जिन लोगों को यह रंग दिखा, उन्होंने इसे "अद्भुत नीला-हरा (blue-green of unprecedented saturation)" बताया — मतलब यह रंग इतना गहरा और अनोखा था जैसा उन्होंने पहले कभी नहीं देखा।
क्यों किया यह प्रयोग?
वैज्ञानिकों का उद्देश्य है कि वे आंखों के हर photoreceptor(जो रोशनी को महसूस करते हैं) पर प्रोग्राम के जरिए कंट्रोल कर सकें। इससे:
- आंखों की बीमारियों को बेहतर तरीके से समझा जा सकेगा।
- रंग-अंधता (color blindness) वाले लोग शायद ऐसे रंग देखने लगें जो वे पहले नहीं देख सकते थे।
- इंसान की दृष्टि क्षमता (visual perception) को एक नए स्तर तक ले जाया जा सकता है।
क्या इसका भविष्य में उपयोग हो सकता है?
हां, वैज्ञानिक मानते हैं कि इस तकनीक से:
- आंखों की बीमारियों का अध्ययन आसान होगा।
- कलर ब्लाइंड लोगों को नए रंग देखने का मौका मिल सकता है।
- और शायद भविष्य में इंसान उन रंगों को भी देख सकेगा जो अब तक सिर्फ थ्योरी में मौजूद थे।