GST Changes from 1st April 2025 Hindi Updates and New Rules

 GST बदलाव 1 अप्रैल 2025 से: नए नियम और अपडेट

सरकार ने नए वित्तीय वर्ष 2025-26 में GST (Goods and Services Tax) में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं, जिससे व्यापार करना आसान हो, टैक्स गवर्नेंस मजबूत हो, डिजिटल सुरक्षा बढ़े और ऑपरेशनल प्रोसेस में स्थिरता आए। इन नए नियमों को समझना और पहले से तैयार रहना जरूरी है ताकि कोई समस्या ना हो।

मुख्य बदलाव जो 1 अप्रैल 2025 से लागू होंगे:

1️⃣ अनिवार्य मल्टी-फैक्टर ऑथेंटिकेशन (MFA)

पहले से ही e-way bill और e-invoice सिस्टम में लॉगिन के लिए Two-Factor Authentication (2FA) लागू था, जिससे अनधिकृत एक्सेस से बचाव होता है। अब इसे सभी करदाताओं के लिए अनिवार्य कर दिया गया है:

  • 1 जनवरी 2025: जिनका Annual Aggregate Turnover (AATO) ₹20 करोड़ से ज्यादा है, उनके लिए लागू।

  • 1 फरवरी 2025: जिनका AATO ₹5 करोड़ से ज्यादा है, उनके लिए लागू।

  • 1 अप्रैल 2025: सभी करदाताओं के लिए अनिवार्य, चाहे उनका टर्नओवर कितना भी हो।

2️⃣ इनपुट सर्विस डिस्ट्रीब्यूटर (ISD) रजिस्ट्रेशन अनिवार्य

पहले कंपनियां एक ही PAN के तहत कई GST रजिस्ट्रेशन लेकर cross-charge मेथड या ISD (Input Service Distributor) मेथड से इनपुट सर्विसेज को बांट सकती थीं। Cross-charge आसान था लेकिन इसमें ITC (Input Tax Credit) की गणना जटिल होती थी।

  • अब 1 अप्रैल 2025 से: सभी कंपनियों को ISD रजिस्ट्रेशन लेना अनिवार्य होगा।

  • GSTR-6 फाइल करना जरूरी होगा ताकि ITC को ट्रैक किया जा सके और सही रिपोर्टिंग हो।

3️⃣ GSTR-7 और GSTR-8 में संशोधन

नोटिफिकेशन 09/2025 – सेंट्रल टैक्स, दिनांक 11 फरवरी 2025 के तहत GSTR-7 (TDS) और GSTR-8 (TCS) फॉर्म में बदलाव किए गए हैं:

  • GSTR-7: अब इसमें GSTIN, इनवॉइस डिटेल्स, भुगतान की गई राशि और काटे गए टैक्स की जानकारी भी देनी होगी।

  • GSTR-8: ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म से सप्लाई की जानकारी को अधिक पारदर्शी बनाने के लिए इसमें बदलाव किए गए हैं।

4️⃣ ई-वे बिल जनरेशन और एक्सटेंशन पर पाबंदियां

सरकार ने गुड्स मूवमेंट ट्रैकिंग को और मजबूत करने के लिए कुछ सीमाएं तय की हैं:

  • 1 जनवरी 2025 से:

    • ई-वे बिल सिर्फ उन्हीं डॉक्युमेंट्स के लिए जनरेट होंगे जो पिछले 180 दिनों के भीतर के हैं।

    • उदाहरण: यदि किसी डॉक्युमेंट की डेट 3 अक्टूबर 2024 से पहले की है, तो 1 अप्रैल 2025 के बाद उसके लिए ई-वे बिल नहीं बनेगा।

  • ई-वे बिल एक्सटेंशन:

    • ई-वे बिल को अधिकतम 360 दिनों तक ही बढ़ाया जा सकेगा।

    • अगर कोई ई-वे बिल 1 अप्रैल 2025 को बना है, तो इसे सिर्फ 27 मार्च 2026 तक ही बढ़ाया जा सकेगा।

5️⃣ ई-इनवॉइस रिपोर्टिंग की 30-दिन की समय सीमा का विस्तार

सरकार e-invoicing की समयसीमा को और कड़ा कर रही है ताकि टैक्स चोरी को रोका जा सके।

  • पहले यह नियम ₹100 करोड़ से अधिक टर्नओवर वालों के लिए था।

  • अब 1 अप्रैल 2025 से: जिनका AATO ₹10 करोड़ से अधिक है, उनके लिए भी लागू होगा।

  • अब सभी B2B इनवॉइस को 30 दिनों के अंदर IRP (Invoice Registration Portal) पर रिपोर्ट करना जरूरी होगा।

  • अगर समय पर रिपोर्ट नहीं किया, तो इनवॉइस रिजेक्ट हो सकता है, जिससे ITC क्लेम और अन्य प्रक्रियाओं में देरी हो सकती है।

निष्कर्ष:

1 अप्रैल 2025 से GST में कई बड़े बदलाव आ रहे हैं। व्यापारियों को MFA, ISD रजिस्ट्रेशन, GSTR-7/8 अपडेट्स, ई-वे बिल प्रतिबंध और e-invoice रिपोर्टिंग की समय सीमा का ध्यान रखना होगा ताकि कोई दिक्कत ना आए। अगर आप GST से जुड़े हैं, तो इन बदलावों को समझकर पहले से तैयारी करें। 🚀