# कंपनी कानून की जानकारी
## **CIN (Corporate Identity Number)**
- CIN एक 21 अंकों का यूनिक आइडेंटिटी नंबर होता है जो कंपनी के बारे में जानकारी देता है।
- **उदाहरण**: इंफोसिस का CIN - **L85110KA1981PLC013115**
- **L**: लिस्टेड कंपनी (U होता अगर अनलिस्टेड होती)
- **85110**: कुछ विशेष कोड
- **KA**: रजिस्ट्रेशन की स्टेट (कर्नाटक)
- **1981**: साल जब कंपनी बनी (वर्ष of incorporation)
- **PLC**: पब्लिक लिमिटेड कंपनी (PTC प्राइवेट, FTC फॉरेन, GOI सरकारी)
- **013115**: ROC के पास रजिस्ट्रेशन नंबर
## **डॉक्युमेंट्स का रखरखाव**
- कंपनी को अपने सभी डॉक्युमेंट्स (जो रजिस्ट्रार को भेजे गए थे) अपने रजिस्टर्ड ऑफिस में सुरक्षित रखने होते हैं, जब तक कंपनी डिसॉल्व (बंद) न हो जाए।
## **फर्जी जानकारी देने पर सजा (Fraud - Section 447)**
- अगर कोई व्यक्ति कंपनी बनाते समय **झूठी जानकारी** देता है या **जरूरी फैक्ट्स छुपाता** है, तो उसे **फ्रॉड (धोखाधड़ी)** के तहत एक्शन लिया जा सकता है।
- यही नियम **पोस्ट-इनकॉर्पोरेशन** (कंपनी बनने के बाद) पर भी लागू होता है। अगर बाद में पता चलता है कि कंपनी ने फर्जी दस्तावेज दिए थे, तो:
- प्रोमोटर्स, डायरेक्टर्स और डिक्लेरेशन देने वालों पर **कानूनी कार्रवाई** होगी।
- NCLT (ट्रिब्यूनल) कंपनी को **विंड अप** (बंद) करने का आदेश दे सकता है।
- या फिर कंपनी के मेमोरेंडम/आर्टिकल्स में बदलाव कर सकता है।
## **NCLT (National Company Law Tribunal)**
- यह एक क्वासी-ज्यूडिशियल बॉडी है जो कंपनी से जुड़े मामलों को सुनती है।
- कोई भी फैसला लेने से पहले कंपनी को **सुनवाई का मौका** दिया जाता है।
### **Example**:
अगर कोई कंपनी **इल्लीगल ऑब्जेक्ट्स** (गैरकानूनी उद्देश्य) के साथ बनाई गई है, तो उसका **रजिस्ट्रेशन भी उसे वैध नहीं बनाता**। ऐसे में कंपनी को **विंड अप** करना ही एकमात्र उपाय है।
**नोट**: यह जानकारी स्टूडेंट्स की समझ के लिए है। असली केस में लीगल एक्सपर्ट की सलाह लें।