### **One Person Company (OPC) क्या है?**
OPC एक ऐसी कंपनी है जो सिर्फ एक व्यक्ति द्वारा बनाई जा सकती है। Companies Act, 2013 ने पहली बार इसे पेश किया था, ताकि एक अकेला व्यक्ति भी सीमित दायित्व (limited liability) के साथ कंपनी शुरू कर सके। इसे Section 3(1)(c) के तहत एक प्राइवेट कंपनी माना जाता है। इसके लिए कुछ खास नियम हैं, जो Companies (Incorporation) Rules, 2014 में Rule 3 और 4 में दिए गए हैं।
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### **OPC कौन बना सकता है?**
- **केवल एक प्राकृतिक व्यक्ति (natural person)** ही OPC बना सकता है, यानी कोई कंपनी या संगठन नहीं।
- वह व्यक्ति नाबालिग (minor) नहीं होना चाहिए, यानी उसकी उम्र 18 साल से ज्यादा होनी चाहिए।
- वह व्यक्ति **भारतीय नागरिक (Indian citizen)** होना चाहिए।
- उसे भारत में रहना चाहिए, यानी पिछले वित्तीय वर्ष में कम से कम **120 दिन** भारत में रहना जरूरी है।
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### **OPC की कुछ सीमाएँ (Limitations):**
- OPC को किसी दूसरी कंपनी में बदलने (convert) या शामिल करने की अनुमति नहीं है, जैसा कि Act की Section 8 में बताया गया है।
- OPC ना तो **नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल इन्वेस्टमेंट (Non-Banking Financial Investment)** कर सकता है और ना ही किसी बॉडी कॉरपोरेट (body corporate) की सिक्योरिटीज में निवेश कर सकता है।
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### **Nominee का रोल (Indicate Name & Consent Nominee):**
- OPC बनाते समय, उस एक व्यक्ति को एक **नॉमिनी (nominee)** चुनना होता है।
- नॉमिनी भी एक प्राकृतिक व्यक्ति होना चाहिए, जो नाबालिग न हो, भारतीय नागरिक हो, और भारत में रहता हो।
- नॉमिनी का नाम और उसकी लिखित सहमति (written consent) कंपनी के मेमोरेंडम (MOA) में देना जरूरी है।
- अगर OPC का मालिक मर जाता है या कॉन्ट्रैक्ट करने की क्षमता खो देता है, तो नॉमिनी कंपनी का सदस्य बन जाता है।
- **उदाहरण:** मान लीजिए, सुश्री मधु ने एक OPC बनाया और अपने नॉमिनी के रूप में श्री सुधन को चुना। उनकी सहमति MOA में दी गई। लेकिन बाद में मधु ने इनसॉल्वेंट (divalapan) घोषित कर दिया, तो अब यह सुनिश्चित करने के लिए कि कंपनी चलती रहे, यह प्रावधान है।
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### **Nominee को बदलने का नियम (Change of Nominee):**
- अगर मालिक नॉमिनी को बदलना चाहता है, तो उसे नोटिस देना होगा और 30 दिनों के अंदर रजिस्ट्रार को सूचित करना होगा।
- अगर मालिक की मृत्यु हो जाती है या वह अक्षम हो जाता है, तो नॉमिनी 15 दिनों के अंदर नया नॉमिनी नियुक्त करेगा।
- नया नॉमिनी चुनने के लिए Form No. INC-4 भरना होगा और Companies (Registration offices and fees) Rules, 2014 के तहत फीस देनी होगी।
**उदाहरण:** रजेश ने एक OPC बनाया और अपनी पत्नी रूपाली को नॉमिनी बनाया। दो साल बाद, रूपाली बीमार हो गईं, तो रजेश ने अपने दोस्त रामनिवास को नया नॉमिनी बनाया। लेकिन रजेश का बेटा रक्षक, जो 17 साल का है, नॉमिनी नहीं बन सकता क्योंकि वह नाबालिग है।
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### **OPC के लिए रियायतें (Relaxations):**
OPC को कई नियमों में छूट दी गई है, जैसे:
- **कैश-फ्लो स्टेटमेंट:** Section 2(40) के तहत कैश-फ्लो स्टेटमेंट तैयार करना जरूरी नहीं।
- **एनुअल रिटर्न:** Section 92 के तहत एनुअल रिटर्न डायरेक्टर साइन कर सकता है, कंपनी सेक्रेटरी की जरूरत नहीं।
- **ऑडिटेड स्टेटमेंट्स:** Section 134 के तहत ऑडिटेड फाइनेंशियल स्टेटमेंट्स में डायरेक्टर की सिग्नेचर काफी है।
- **AGM (Annual General Meeting):** Section 96 के तहत AGM करना जरूरी नहीं। Sections 100 से 111 के जनरल मीटिंग्स के नियम भी लागू नहीं होते।
- **बोर्ड मीटिंग्स:** Section 173 के तहत हर छह महीने में सिर्फ एक बोर्ड मीटिंग करनी है।
- **फाइनेंशियल स्टेटमेंट्स:** Section 137 के तहत फाइनेंशियल स्टेटमेंट्स फाइनेंशियल ईयर खत्म होने के 6 महीने के अंदर फाइल करने हैं, न कि 30 दिनों में।
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### **True/False स्टेटमेंट:**
**कथन:** एक नॉन-रेजिडेंट इंडियन (NRI) भी OPC बना सकता है और उसका सदस्य बन सकता है।
**जवाब:** गलत।
Rule 3(1) of Companies (Incorporation) Rules, 2014 के अनुसार, केवल एक प्राकृतिक व्यक्ति, जो नाबालिग न हो, भारतीय नागरिक हो, और भारत में रहता हो, ही OPC बना सकता है