### 1. **कंपनी कैसे बनती थी और अब कैसे बनती है?**
पहले के समय में, प्री-इंडिपेंडेंस एरा में, कंपनियाँ रॉयल चार्टर (Royal Charter) के जरिए बनती थीं। लेकिन अब, इंडिया में कंपनी बनाने के लिए दो तरीके हैं:
- **Special Act** के जरिए (जैसे कि संसद या विधानसभा का एक्ट), या
- **Companies Act, 2013** के तहत।
इसके तहत कंपनी तीन प्रकार की हो सकती है:
- **Chartered Company** (जो रॉयल चार्टर से बनी हो, अब बहुत कम हैं),
- **Statutory Company** (जो स्पेशल एक्ट से बनी हो, जैसे RBI),
- **Registered Company** (जो Companies Act के तहत रजिस्टर होती है)।
Section 3 में रजिस्टर्ड कंपनियों के बारे में बताया गया है।
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### 2. **कंपनियों के प्रकार (Types of Companies)**
कंपनियाँ कई तरह की होती हैं, और इन्हें दो मुख्य आधार पर बाँटा गया है:
#### **A. रजिस्ट्रेशन के आधार पर (On the basis of mode of registration):**
- **Registered Companies**: जो Companies Act के तहत रजिस्टर होती हैं।
- **Statutory Companies**: जो स्पेशल एक्ट से बनती हैं।
- **Chartered Companies**: जो रॉयल चार्टर से बनती थीं (अब बहुत कम हैं)।
#### **B. लायबिलिटी के आधार पर (On the basis of liability):**
- **Limited by Shares**: ऐसी कंपनी जिसमें मेंबर्स की लायबिलिटी (दायित्व) उनके शेयर्स तक सीमित होती है। जैसे कि ज्यादातर प्राइवेट और पब्लिक कंपनियाँ।
- **Limited by Guarantee**: ऐसी कंपनी जिसमें मेंबर्स की लायबिलिटी एक फिक्स्ड अमाउंट तक सीमित होती है, जो वो गारंटी देते हैं। ये ज्यादातर नॉन-प्रॉफिट ऑर्गनाइजेशन में होती है।
- इसमें दो टाइप हो सकते हैं: *with capital* (जो शेयर्स के साथ हो) और *without capital* (जो बिना शेयर्स के हो)।
- **Unlimited**: ऐसी कंपनी जिसमें मेंबर्स की लायबिलिटी अनलिमिटेड होती है, यानी वो कंपनी के सारे डेट्स के लिए पर्सनली रिस्पॉन्सिबल होते हैं।
#### **C. पब्लिक और प्राइवेट के आधार पर:**
- **Public Company**: ऐसी कंपनी जो स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड हो सकती है और जनता से फंड रेज कर सकती है।
- **Private Company**: ऐसी कंपनी जो छोटी होती है, और जनता से फंड नहीं रेज करती।
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### 3. **कंपनी बनाने के लिए कितने लोग चाहिए?**
Section 3 की Sub-section 1 के तहत:
- **Public Company**: कम से कम 7 लोग चाहिए।
- **Private Company**: कम से कम 2 लोग चाहिए।
- **One Person Company (OPC)**: ये एक स्पेशल टाइप की प्राइवेट कंपनी है, जो सिर्फ 1 व्यक्ति से बन सकती है।
इन सभी को एक **Memorandum** बनाना होता है और Companies Act के रूल्स फॉलो करने होते हैं।
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### 4. **कंपनी की लायबिलिटी के टाइप्स (Sub-section 2):**
जैसा कि ऊपर बताया गया, कंपनी बनाते समय ये तय करना होता है कि उसकी लायबिलिटी कैसी होगी:
- **Limited by Shares**: मेंबर्स की लायबिलिटी उनके शेयर्स तक सीमित।
- **Limited by Guarantee**: मेंबर्स की लायबिलिटी एक फिक्स्ड गारंटी तक सीमित।
- **Unlimited**: मेंबर्स की लायबिलिटी अनलिमिटेड।